बाजरा प्रागैतिहासिक काल से उगाई जाने वाली सबसे पुरानी फसलों में से एक है और दुनिया में छठे सबसे महत्वपूर्ण अनाज के रूप में गिना जाता है। अफ्रीका और एशिया की मिट्टी अम्लीय वातावरण में खराब है, जो आमतौर पर गेहूँ, चावल, मक्का, ज्वार और जौ के लिए बेहद अनुपयुक्त है। बाजरा अन्य अनाजों की तुलना में बेहतर उगता है। भारत में, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों में बाजरा आमतौर पर एक प्रमुख अनाज के रूप में उपयोग किया जाता है।
स्वास्थ्य सुविधाएं
- मोती बाजरा: हमारे उच्च फाइबर, 'प्रमाणित जैविक' और रसायन मुक्त, चक्की पिसे हुए मोती बाजरे की प्राकृतिक अच्छाई का अनुभव करें, यह एक ग्लूटेन मुक्त विकल्प है जो आपके भोजन में पौष्टिक और स्वस्थ वृद्धि प्रदान करता है।
- चक्की पिसी हुई: हमारा राजस्थानी बाजरा जैविक रूप से प्राप्त किया जाता है और अपने विशिष्ट मीठे स्वाद के लिए ताज़ा पिसा जाता है। प्राकृतिक रूप से बनाया गया और प्राकृतिक रूप से पसंद किया जाता है।
- अनुभव: हमारे मोती बाजरे के आटे में देहाती पेट्रीकोर जैसी सुगंध है जो घर की याद दिलाती है।
- बाजरे के गुण: पोषक तत्वों से भरपूर इस बाजरे के आटे में बेहतरीन पाचन गुण होते हैं, साथ ही इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, फाइबर की मात्रा अधिक होती है, यह बहुमुखी है और ग्लूटेन मुक्त है।
- भंडारण निर्देश: ताज़गी बनाए रखने के लिए, मिश्रण को एक वायुरोधी कंटेनर में रखें
- बनाने की विधि: इस ग्लूटेन-मुक्त आटे को मुट्ठी भर पानी से गूंथ लें। एक या दो लोइयाँ बनाकर रोटियाँ बेल लें। गरम तवे पर दोनों तरफ से सेंक लें। बाजरे की रोटियाँ एक-एक करके बनानी चाहिए, क्योंकि ज़्यादा देर तक रखने पर आटा कड़वा हो जाता है। राजस्थानी थाली में बाजरे की रोटियाँ जितनी स्वादिष्ट लगती हैं, उतनी ही गुड़ और थोड़े से घी के साथ भी स्वादिष्ट लगती हैं। आनंद लें😊
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आइटम का वजन:
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| एलर्जेन जानकारी:
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ग्लूटेन मुक्त |
| विशेषता:
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जैविक, रसायन मुक्त |
| आहार प्रकार:
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शाकाहारी, ग्लूटेन मुक्त, सीलिएक रोगियों के लिए उपयुक्त |
| पैकेज का वजन:
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500 ग्राम |
| आइटम फॉर्म:
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पाउडर (आटा) |
| मदों की संख्या:
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1 इकाई |
| शुद्ध मात्रा: |
500 ग्राम |